मातृभाषा का महत्त्व
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज में रहते हुए उसे अपने भावो और विचारो को व्यक्त करने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है । सबसे पहले बच्चा अपनी माँ से भाषा सीखता है, यही भाषा मातृभाषा कहलाती है । मध्यप्रदेश हिंदी भाषी राज्य है और यहाँ हिंदी का प्रयोग ज़्यादा होता है । इसी बात को ध्यान में रखते हुए विध्यालय में हिंदी को महत्त्व दिया जाता है और हिंदी के शिक्षण पर ज़ोर दिया जाता है । आई. बी. शिक्षा प्रणाली मातृभाषा को महत्त्व देती है क्योंकि यह ज्ञानार्जन का सशक्त माध्यम है और मातृभाषा द्वारा बच्चा आत्मविश्वास से प्रस्तुति दे सकता है । इसी बात को ध्यान में रखते हुए बच्चों को हिंदी में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी जाती है । दिंडी वाचन और लेखन में प्रगति के लिए वाचन और लेखन का अभ्यास करवाया जाता है । जिन बच्चों को हिंदी पढ़ने या लिखने में समस्या आती है, उन्हें अतिरिक्त समय में पढ़ाया जाता है । मातृभाषा द्वारा उच्च शिक्षा प्राप्त करने में भी आसानी होती है । अतः मातृभाषा के रूप में हिंदी का अध्ययन भी अवश्यक है ।
PYP में हिंदी का महत्त्व
भाषा संप्रेषण का सशक्त माध्यम है। भाषा के द्वारा ही हम अपने विचारों की अभिव्यक्ति करते है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए बच्चों में संप्रेषण के चार माध्यम विकसित करने के उद्देश्य से हिंदी का अध्ययन करवाया जाता है। सुनना - बोलना से शुरू करते हुए पढ़ना-लिखना तक अभ्यास करवाया जाता है ताकि बच्चे चारों माध्यमों से भावाभिव्यक्ति कर सकें। प्राथमिक स्तर पर बच्चों को हिंदी वर्णमाला एवं मात्राओं का परिचय करवाया जाता है। वर्णमाला एवं मात्राओं का नियमित अभ्यास करवाया जाता है। बच्चों को शब्द एवं वाक्य निर्माण सिखाया जाता है ताकि वे स्व-कल्पना से शब्द तथा वाक्य निर्माण कर सके। लेखन एवं वाचन का अभ्यास करवाया जाता है। हिंदी व्याकरण से बच्चों को परिचित करवाया जाता है जिससे वे हिंदी भाषा को शुद्धता से पढ़ लिख सके। कक्षा के स्तर के अनुसार लेखन कार्य करवाया जाता है। स्व-रचित कविता एवं लेख लिखवाए जाते हैं। मौखिक अभिव्यक्ति के कौशल को विकसित किया जाता है। अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए उचित भाषा शैली का प्रयोग सिखाया जाता है। प्रारंभिक व्याकरण के अन्तर्गत संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण,लिंग,वचन,विलोम शब्द, पर्यायवाची शब्द,क्रिया आदि का परिचय करवाया जाता है। धीरे-धीरे बच्चों को हिंदी के प्रयोग से अभ्यस्त किया जाता है जिससे भाषा प्रयोह के लिए उनका आत्मविश्वास बढे।