क्या है जिंदगी, तू मुझको बता दे
किसी को तू खुशी दे, किसी को दगा दे
खुशियों के पलों को क्यों लोग गँवाते?
चाहे तू क्या, ऐ दिल! मुझको बता दे
किसी की हँसी तू, किसी की दुआ है
लोग ये कहते कि तू गुमशुदा है
चाहे तू क्या, ऐ दिल! मुझको बता दे
क्या है जिंदगी, तू मुझको बता दे
एक पल समां तू, एक पल सज़ा है
फिर भी मैं पूछूँ, तू क्यों ग़मज़दा है?
एक दिन खुद को, बस समझने की चाह है
दुनिया तो दो पल का कारवां है
चाहे तू क्या, ऐ दिल! मुझको बता दे
घर से निकलकर, हुए गुमराह हैं
आखिर में, मेरी भी नहीं ये ख़ता है
फिर भी तू मुझसे, क्यों रूठा बेवजह है?
क्या है जिंदगी, तू मुझको बता दे ।
~ताहेर चक्कीवाला
डी.पी. २
खुशियों के पलों को क्यों लोग गँवाते?
चाहे तू क्या, ऐ दिल! मुझको बता दे
किसी की हँसी तू, किसी की दुआ है
लोग ये कहते कि तू गुमशुदा है
चाहे तू क्या, ऐ दिल! मुझको बता दे
क्या है जिंदगी, तू मुझको बता दे
एक पल समां तू, एक पल सज़ा है
फिर भी मैं पूछूँ, तू क्यों ग़मज़दा है?
एक दिन खुद को, बस समझने की चाह है
दुनिया तो दो पल का कारवां है
चाहे तू क्या, ऐ दिल! मुझको बता दे
घर से निकलकर, हुए गुमराह हैं
आखिर में, मेरी भी नहीं ये ख़ता है
फिर भी तू मुझसे, क्यों रूठा बेवजह है?
क्या है जिंदगी, तू मुझको बता दे ।
~ताहेर चक्कीवाला
डी.पी. २