औचित्य
"बिंदा" महादेवी वर्मा द्वारा रचित ह्रदय एवं आत्मा को छू जाने वाली कहानी है। महादेवी जी को हिंदी साहित्य की सेवा के लिए भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण एवं मरणोपरांत पद्म विभूषण जैसे उच्च सम्मान प्रदान किये गए । उन्होंने हिन्दी भाषा तथा हिंदी साहित्य के क्षेत्र में महत्त्व पूर्ण एवं विस्तृत कार्य किये । भावनात्मकता तथा अनूभूति की गहनता उनकी लेखन की प्रमुख विशेषता है । सामाजिक जीवन की गहरी परतों को छूने वाली इतनी तीव्र दृष्टि, तथा निम्न वर्ग के निरीह साधनहीन प्राणियों के अनूठे चित्र उन्होंने ही प्रथम बार हिंदी साहित्य को दिए ।
बिंदा कहानी पढ़ कर मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि लेखिका अपनी बाल अवस्था में अपनी सखी बिंदा का उसकी सौतेली माँ द्वारा प्रताड़ित होना और भयानक बीमारी से ग्रसित होकर मर जाना कई वर्षों तक नहीं भूल पायी । इसलिए मुझे लगा कि इस कहानी को आगे बढ़ा कर इसका सुखद अंत किया जाए । ताकि लेखिका को कहानी में आत्म सन्तुष्टि मिले और पाठक भी आशा वाद की ओर अग्रसर हों । साथ ही इस विचारधारा को बल मिले कि प्रत्येक सौतेली माँ अत्याचारी नहीं होती। जैसे जानकी नामक पात्र को मैंने कहानी में डाला जो बिंदा के जीवन को रूपांतरित कर देती है ।
महादेवी वर्मा को हिंदी की सरस्वती माना जाता है। भाषा एवं भाव को ध्यान में रखते हुए उनकी रचना को आगे बढ़ाना मेरे लिए बहुत कठिन था । किन्तु मैंने एक छोटी सी कोशिश अवश्य की है। कोई त्रुटि हो जाए तो क्षमा करना।
बिंदा कहानी पढ़ कर मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि लेखिका अपनी बाल अवस्था में अपनी सखी बिंदा का उसकी सौतेली माँ द्वारा प्रताड़ित होना और भयानक बीमारी से ग्रसित होकर मर जाना कई वर्षों तक नहीं भूल पायी । इसलिए मुझे लगा कि इस कहानी को आगे बढ़ा कर इसका सुखद अंत किया जाए । ताकि लेखिका को कहानी में आत्म सन्तुष्टि मिले और पाठक भी आशा वाद की ओर अग्रसर हों । साथ ही इस विचारधारा को बल मिले कि प्रत्येक सौतेली माँ अत्याचारी नहीं होती। जैसे जानकी नामक पात्र को मैंने कहानी में डाला जो बिंदा के जीवन को रूपांतरित कर देती है ।
महादेवी वर्मा को हिंदी की सरस्वती माना जाता है। भाषा एवं भाव को ध्यान में रखते हुए उनकी रचना को आगे बढ़ाना मेरे लिए बहुत कठिन था । किन्तु मैंने एक छोटी सी कोशिश अवश्य की है। कोई त्रुटि हो जाए तो क्षमा करना।